माँ जब भी मेरे लिए दुआ करती है, रास्ते की हर ठोकरे मुझे सलाम करती है!!
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हमे बेवफा बोलने वाले आज तू भी सुनले, जिनकी फितरत ‘बेवफा’ होती है, उनके साथ कब ‘वफा’ होती है!!
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उसने पूछा क्या चीज़ बिना सोचकर करती हो, मैने कहा तुम पर विश्वास!!
(“A.r. lalawat”)
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